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बेबसी..बेहाली चिंता से चिता तक का सफर । अस्पताल में लगती भीड़ का सबूत दे रहे इंदौर के शमशान घाट।

इंदौर कोरोना संक्रमण को लेकर नेता और अधिकारी स्वास्थ विभाग लाख दावे करें, लेकिन दिन पर दिन स्थितियां बदहाल होती जा रही है। जहां एक और इंदौर के ज्यादातर अस्पताल पैक हो चुके हैं। कही आईसीयू तो कहीं ऑक्सीजन तो कहीं इंजेक्शन की मारामारी है। आलम यह हो गया है कि अब मरीजों के परिजनों को सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। इंदौर के दवा बाजार के बाहर कई दिनों से लगती लाइने साफ बता रही हैं कि जिंदगी से मौत के सफर के बीच यह लोग अपने को बचाने के लिए किस कदर दवा का एक डोज़ पाने के लिए बेताब है। जिसके लिए ना सिर्फ कतार लगाकर खड़े हैं । बल्कि मुंह मांगी कीमत देने को भी तैयार हैं । वहीं दूसरी ओर इंदौर के अलग-अलग श्मशान घाटों पर लगातार पहुंच रहे शवों की संख्या ने भी एक बार फिर इंदौर को डरा दिया है।

केस 1 कोरोना से संक्रमित होने पर श्रीमती दुर्गा शर्मा को पिछले दिनों इंदौर के अरविंदो अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उनके लंगस में 60 फ़ीसदी इंफेक्शन बताया गया। हालत गंभीर होने पर अस्पताल द्वारा आईसीयू में जगह ना होने पर उन्हें 60 फिट रोड स्थित एक अन्य निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया, लेकिन जल्दी हालत बिगड़ती गई और उन्हें वेंटिलेटर की आवश्यकता आन पड़ी। निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने किराए पर वेंटिलेटर के लिए ₹35000 प्रतिदिन का बिल बताया। इस मरीज के परिजनों ने एम वाय अस्पताल सहित कई रियायती अस्पतालों में संपर्क साधा, लेकिन उन्हें वेंटिलेटर नहीं मिल पाया और कुछ ही घंटों में श्रीमती दुर्गा ने दम तोड़ दिया।

केस 2 इसी तरह निजी पैथोलॉजी का व्यवसाय करने वाले मुकेश कुमार (परिवर्तित नाम) पूर्णा संक्रमण का शिकार हुए, मुंबई हॉस्पिटल के सामने मानसरोवर में रहने वाले मुकेश कुमार आसपास के अस्पतालों में तलाश की लेकिन ज्यादातर अस्पताल फुल मिले इस पर उन्होंने बड़ा गणपति स्थित एक निजी अस्पताल में खुद को भर्ती किया जहां बमुश्किल उन्हें रेंडे सिमर के तीन दोस्त मिल पाए इसके बाद लगातार कई दिनों तक तलाशने पर उन्हें रेनडीसिमर इंजेक्शन नहीं मिली।

श्मशान में दिन पर दिन बढ़ रही शवों की संख्या

शहर में पिछले 37 दिनों में ही कोरोना महामारी ने 426 लोगों को निगल लिया। इनमें से मार्च माह में ही 273 चिताएं इन श्मशानों पर जलीं, वहीं अप्रैल माह के शुरुआती 4 दिनों में ही कोरोना से मरने वालों की संख्या 106 पर पहुंच गई। शहर के मेघदूत एवं रीजनल पार्क स्थित मुक्तिधामों में जहां एक के बाद एक कोरोना शव आते रहे, वहीं रामबाग भी सर्वाधिक चिताओं वाले मुक्तिधामों में शामिल रहा।

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