इंदौर कहते हैं कुशल नेतृत्व की अपार संभावना रहती है इसलिए समाज में कुछ लोग नेता बन कर सामने आते हैं ताकि समय लेने पर उपयुक्त और सशक्त निर्णय ले सके लेकिन शायद इंदौर में ऐसे सशक्त निर्णय की कमी साफ देखी जा सकती है जहां फुर्सत के पलों में रोज नेताजी इंदौर के रेसीडेंसी कोठी पर अपनी बैठक जमा लेते हैं और स्वास्थ्य विभाग के साथ अधिकारियों का एक बड़ा मजमा बुला लेते हैं यहां पर हुई चर्चा अगले दिन सुननी हो जाती है क्योंकि जमीन के हाल कुछ और हैं लोग अस्पतालों में दाखिले के लिए परेशान हैं किसी को इंजेक्शन नहीं मिल रहा तो किसी को आईसीयू में जगह नहीं मिल रही ऐसे में शहर में क्या कुछ कड़े कदम और निर्णायक कदम उठाए जाने चाहिए इसको लेकर नेताजी की मीटिंग है फेल ही नजर आ रहे हैं।

बात हाथ से निकली तो नेता जी ने सुझाया लॉक डाउन का उपाय
इंदौर शहर में कोरोना संक्रमण के मामले एक-दो दिन से नहीं बड़े, बल्कि बीते सप्ताह से ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए जा रहे टेस्ट इस बात की तस्दीक कर रहे थे की इंदौर के 37 इलाकों में संक्रमण बेहद तेजी से फैल रहा है, लेकिन इंदौर के भाजपा और कांग्रेस नेता उस समय अपनी नेतागिरी को चमकाने में मशगूल थे। लगातार रेसीडेंसी कोठी पर बैठकों का सिलसिला चलता रहा कहीं मासक को लेकर तो कहीं इंजेक्शन को लेकर और कहीं प्रशासनिक अमले को लेकर नेता राजनीति करते रहे, लेकिन किसी ने नहीं सोचा कि अगर इंदौर में ऑक्सीजन और रेंडीसीमर इंजेक्शन की किल्लत आई तो नेताजी कैसे इससे अपने शहर को पार लगा पाएंगे। लगातार मीटिंग के बाद भी इंदौर के हालत बिगड़ते रहे और अब जब बात हाथ से निकल गई तो इंदौर के मंत्री तुलसी सिलावट सहित भाजपा के अन्य नेता अब दबी जुबान में एक लंबे लॉकडाउन की पैरवी करते नजर आ रहे हैं।