Indore हमेशा से उसकी जिंदादिली के लिए जाना जाता है । बड़ी सी बड़ी मुसीबत भी इंदौर में क्यों नहीं टिक पाते इसका सबूत देता है Indore और इन्दोरी होने का जज्बा। ऐसी जिंदादिली से जुड़ी एक हैरतअंगेज दास्तान जिसमें इंदौर के कुछ नौजवान युवकों ने देखा कि हजारों लोग अस्पताल में बिस्तर, रेंडीसीमार इंजेक्शन ऑक्सीजन बेड, टोसी इंजेक्शन, प्लाज्मा के लिए परेशान हो रहे हैं । इस अस्पताल से उस अस्पताल चक्कर लगा रहे हैं । ऑक्सीजन सिलेंडर भरने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एंबुलेंस का किराया मुहमांगा देना पड़ रहा है तो इन युवावओं ने निश्चय किया कि वह शहर की मदद के लिए आगे आएंगे।
इसी प्रेरणा के साथ इन्होंने जन स्वस्थ नाम से एक वर्चुअल कॉल सेंटर बनाया इस कॉल सेंटर की खासियत यह है कि इस पर इंटरनेट और तमाम जरयों से आने वाली जानकारी को काम करने वाले युवा जानकारी को पहले वेरीफाई करते हैं और उसमें से सटीक जानकारी जरूरतमंद को मुहैया कराते हैं ।

कॉल सेंटर मैं काम कर रहे वाले युवा पढ़े लिखे समृद्ध घर से हैं। लेकिन इनके परिवार में भी कई लोग कोविड-19 से ग्रस्त हुए रिश्तेदारों में दोस्तों में जिनके दुख ने इन्हें मानवता की सेवा की प्रेरणा दी और आज जन स्वास्थ के नाम से शुरू की गई कॉल सेंटर से यह युवा हजारों लोगों तक मदद पहुंचा रहे हैं ।
जन स्वास्थ्य पर मिलने वाली जानकारियां हेल्प लाइन नंबर (07314854004)
- अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड की उपलब्धता
- रेंडीसीमर इंजेक्शन की उपलब्धता और उसका सही माध्यम
*प्लाजमा डोनर की संपूर्ण जानकारी और उससे कनेक्टिविटी
- मरीज को और मृतक को ले जाने के लिए उचित दामों पर एंबुलेंस की सही जानकारी
- कोविड-19 सेंटर, सिटी स्कैन सेंटर और डॉक्टरों से सीधा संवाद ताकि मरीज का समय बच सके और वह परेशान ना हो ।
इन तमाम जानकारियों के साथ सुबह 8:30 से रात्रि 10:30 बजे तक दो शिफ्ट में यह कॉल सेंटर पर बैठने वाले युवा निशुल्क मदद व जानकारी मुहैया करा रहे हैं।
कॉल सेंटर का मकसद
जन स्वास्थ्य को शुरू करने वाले प्रदीप नायर की माने तो इंदौर में महामारी से हुए नुकसान,बढ़ती कालाबाजारी, मरीजों के परिजनों का दुख दर्द और उनकी तकलीफ नौजवानों से देखी नहीं गई । इसी को लेकर प्रदीप नायर जरूरतमंदों के लिए डाटा कलेक्ट करने पहले CMHO ऑफिस पहुंचे। जहां से अस्पतालों में उपलब्ध बिस्तरों का डाटा, रेंडीसीमर इंजेक्शन का डाटा सहित ऑक्सीजन बेड और अन्य तरह की किसी भी डाटा को देने से इंकार कर दिया गया। तब उन्होंने युवाओं की फौज के साथ खुद ही इस डाटा को कलेक्ट कर लोगों तक मदद पहुंचाने का संकल्प लिया। आज प्रदीप नायर का मदद का यह जज्बा ना सिर्फ Indore बल्कि इंदौर से सटे देवास, उज्जैन, धार सहित कई छोटे-बड़े शहरों को उपकृत कर रहा है।
रोजाना आते हैं हजारों फोन
दरअसल जन स्वास्थ्य पर सुबह 8:30 से रात्रि 10:30 तक रोजाना हजारों फोन आते हैं और मूल्यवान जानकारी प्राप्त कर उनके परिजन मरीज के इलाज में सही दिशा में आगे बढ़ते हैं ।दरअसल कोरोना संक्रमण काल में संक्रमित होते ही मरीज और उसके परिजनों की मानसिक पीड़ा बढ़ जाती है। वही लग्स इंफेक्शन बनने पर यह घबराहट दोगुनी हो जाती है। जिसमें मरीज और उसके परिजन सही निर्णय नहीं ले पाते। कई बार अव्यवस्था और जानकारी के अभाव में मौत शिकार तक हो जाते हैं। सही समय पर मरीज के परिजनों को सही जानकारी मिलने से ना सिर्फ मरीज की जान बच जाती है बल्कि वह अव्यवस्था की भेंट चढ़ने से भी बच जाता है।
जन स्वास्थ्य की शासन प्रशासन से अपील
नौजवानों की सरकार और प्रशासन से सिर्फ इतनी अपील है कि वह जनहित में उन्हें Indore जिले के अस्पतालों में प्रति घंटे उपलब्ध होने वाले डाटा की जानकारी मुहैया कराएं। जीवन रक्षक इंजेक्शन की उपलब्धता से जुड़ी जानकारी और कोरोनावायरस से जुड़ी जांच व अन्य जानकारी इनकी टीम को मुहैया कराएं । ताकि यह जरूरतमंद लोगों तक सटीक जानकारी लेकर पहुंच सकें ।
भाजपा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी की प्रशंसा ।
दरअसल जन स्वास्थ्य कॉल सेंटर की योजना लेकर के प्रदीप नायर हुक्मरानों से लेकर कई नौकरशाहों तक गए तो ज्यादातर लोगों ने उनके इस मदद के जज्बे को नकार दिया, लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय जब उनकी बात सुनी तो वह हैरत में पड़ गए और उन्होंने ना सिर्फ खुले दिल से उनके इस जज्बे का स्वागत किया बल्कि जन स्वास्थ्य कॉल सेंटर का पश्चिम बंगाल में अपने व्यस्त शेड्यूल के बाद भी वर्चुअल कॉन्फ्रेंस के जरिए उद्घाटन करवाया। साथ ही इन नौजवानों को भरोसा दिलवाया कि वह इंदौर पहुंचने पर आम लोगों की मदद से जुड़ी जानकारियां जिनकी यह युवा मांग कर रहे हैं। वह शासन और प्रशासन स्तर से समन्वय स्थापित कर इन तक पहुंचाएंगे।

बच सकती है हजारों जान
दरअसल जन स्वास्थ्य कॉल सेंटर तक अगर शासन-प्रशासन मदद कर सही जानकारी मुहैया करा दे तो ना सिर्फ कई जाने बच सकती है, बल्कि शहर में यहां-वहां अव्यवस्था और जानकारी के अभाव में घूम रहे परिजनों के लिए भी एक बड़ी सौगात साबित हो सकती है ।हालांकि यह काम प्रशासन की जिम्मेदारी होना चाहिए, लेकिन बावजूद इसके अगर नौजवान युवा निशुल्क भाव से लोगों की मदद करने के लिए आगे आए हैं तो प्रशासन को भी खुले मन से जनहित में जानकारी मुहैया करानी चाहिए। जिससे हजारों लोगों की जान भी बच सके । और कोरोना संक्रमण की चेन को भी तोड़ा जा सके।