अदालत में मौजूद थे सातों आरोपी ।
Malegaon Blast Case : मालेगांव ब्लास्ट केस में 17 साल बाद एनआईए की स्पेशल अदालत फैसला सुनाते हुए सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया है।
मालेगाव के भीखू चौक पर 29 सितंबर 2008 को रात करीब 9.35 बजे एक ब्लास्ट हुआ था. ब्लास्ट में छह लोगों की मौत हो गई थी. 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे. ब्लास्ट के अगले दिन से नवरात्रों की शुरुआत होने वाली थी

इसी ब्लास्ट से भगवा आतंकवाद जैसे शब्दों को जन्म हुआ था
मामले में पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित (रि) सहित सात लोग आरोपी बनाए गए थे
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित (रि), मेजर रमेश उपाध्याय (रि), समीर कुलकर्णी, अजय राहिरकर, सुधाकर धर द्विवेदी उर्फ दयानंद पांडे और सुधाकर चतुर्वेदी मामले में आरोपी थे
मामला देश के अति संवेदनशील मामलों में से एक है, क्योंकि मालेगांव ब्लास्ट के बाद से ही हिंदू आतंकवाद और भगवा आतंकवाद जैसे शब्दों का जन्म हुआ.
ब्लास्ट केस में कुल 12 लोगों पर आरोप लगे थे लेकिन स्पेशल एनआईए कोर्ट में केस शुरू होने से पहले ही पांच लोगों को बरी कर दिया गया था.
हेमंत करकरे ने की थी इस मामले में जांच
केस की जांच का प्रारंभिक संचालन एटीएस के विशेष महानिरीक्षक हेमंत करकरे कर रहे थे. बाद में 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के दौरान वे शहीद हो गए थे. मामले में एटीएस ने 2009 में अपना आरोपपत्र दायर किया था.