इंदौर मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी जो मध्य प्रदेश को हर लिहाज से एक बेहतर नेतृत्व और आर्थिक प्रदर्शन देती आई है । इसलिए इन दिनों मध्य प्रदेश की राजनीति का अखाड़ा राजधानी भोपाल ना होकर मध्य प्रदेश का आर्थिक राजधानी इंदौर ज्यादा नजर आता है। जहां राष्ट्रीय कैडर का हर नेता जोर आजमाइश करने से पीछे नहीं हट रहा। फिर चाहे बात केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की हो, या नरेंद्र सिंह तोमर की हो या फिर राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की या फिर थावरचंद गहलोत का भी लगातार इंदौर से राजनीतिक जुड़ाव बना रहा है । ऐसे में पर्दे के पीछे से सुमित्रा महाजन की राजनीति भी मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर को जोड़ देती आई है।
बनते बिगड़ते राजनीतिक समीकरण
इंदौर की राजनीति में केंद्रीय मंत्रियों के साथ राज्य के कैबिनेट मंत्रियों का भी बड़ा दखल , हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का भी देखा जा रहा है । माना जा रहा है कि पिछले दिनों कैलाश विजयवर्गीय के साथ हुई प्रदेश की भाजपा नेताओं की बैठक का जवाब ज्योतिरादित्य सिंधिया की जन आशीर्वाद यात्रा के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक इसमें अपने अपने तरह की कहानियां ढूंढ रहे हैं ,लेकिन एक बात बहुत साफ है कैलाश विजवर्गीय जिन्होंने अपने चार दशकों से ज्यादा की राजनीति के अंदर इंदौर शहर के ज्यादातर लोगों के पेट में उतरने की कोशिश की है तो वही ज्योतिराज सिंधिया जन आशीर्वाद यात्रा के माध्यम से लोगों की नजरों में उतरना चाहते हैं।।
वही इन सब के बीच नरोत्तम मिश्रा सहित अन्य लोग भी इंदौर में अपने पैर जमाने की कोशिश में जुटे हैं ।। इंदौर के राजनीतिक समीकरण इंदौर में भाजपा की राजनीति की बात करें तो यहां ताई और भाई की राजनीति का वर्चस्व रहा था, लेकिन अब यह वर्चस्व बदलता नजर आ रहा है। इसमें जहां ताई की जगह ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है।। वहीं भाई की जगह नरोत्तम मिश्रा जो प्रदेश के गृहमंत्री है और इंदौर के प्रभारी मंत्री हैं अपने पैर इंदौर की राजनीति में जमाने की कोशिश में जुटे हैं।।

इसके अलावा केंद्र मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर थावरचंद गहलोत और सबसे खास शिवराज सिंह जो कि प्रशासनिक पकड़ के माध्यम से हमेशा से इंदौर पर कब्जा जमाए हुए रहे हैं।। आने वाले दिनों में इंदौर की राजनीति पर किस का दबदबा रहेगा यह कहना बहुत मुश्किल है, लेकिन यहां पर एक सस्पेंस राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय जरूर है।। इसका नाम रमेश मेंदोला है।। जो भारतीय जनता पार्टी के विधानसभा 2 से विधायक हैं और इस बार सिंधिया की जन आशीर्वाद यात्रा को सबसे ज्यादा आशीर्वाद विधानसभा 2 से ही मिलता दिख है।। ऐसे में स्नेह समर्थक मोहन सिंह सिंगर रमेश मेंदोला और खुद कैलाश विजयवर्गीय जो कि विधानसभा 2 से ताल्लुक रखते हैं।। आने वाले दिनों में यह विधानसभा एक चर्चा का विषय रह सकती है ।।
कभी कांग्रेस का विकल्प कांग्रेस होती थी आज भाजपा का विकल्प भाजपा होती नजर आ रही है ?
आगमी नगर निगम चुनाव से लेकर विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में भाजपा के सामने उसका ही विकल्प एक मजबूत दावेदारी के तौर पर देखा जा सकता है।।
विधानसभा एक की बात करें तो यहां भाजपा के पास सुदर्शन गुप्ता, हरिनारायण यादव, टीनू जोशी सहित कुछ और नेता आमद कर सकते हैं ।।
विधानसभा 2 में रमेश मेंदोला, आकाश विजयवर्गीय, हरिनारायण यादव के साथ मोहन सेंगर मजबूत दावेदार के तौर पर सामने आ सकते।।
ऐसा ही कुछ हाल विधानसभा 3 में है जहां भाजपा के नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे , आकाश विजयवर्गीय, उषा ठाकुर , गोपीकृष्ण नेमा, कृष्ण मुरारी मोघे, जैसे कई नेता दावेदारी में उतर सकते हैं ।।
विधानसभा 4 की बात करें तो यहां मालिनी गौड़ के अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पसंद सबसे ज्यादा मायने रखेगी।। क्योंकि इंदौर भाजपा की विधानसभा 4 को सबसे सेफ सीट माना जाता है।
वहीं विधानसभा पांच की बात करें तो यहां महेंद्र हार्डिया, दिलीप शर्मा,चंदू शिंदे के साथ सिंधिया गुट का भी दब दबा रह सकता है।
वही सांवेर में इस बार टक्कर कांटे की मानी जा रही है क्योंकि सिंधिया गुट के तुलसीराम सिलावट के सामने भाजपा के ही कई वरिष्ठ नेता मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। भीतर खानों से खबर है कि भाजपा के कई नेता टिकट ना मिलने पर कांग्रेस का दामन भी थाम सकते हैं।।
उधर राऊ विधानसभा में भाजपा इस बार किसी मजबूत चेहरे को लड़ाने के मूड में नजर आ सकती है । जिसमें भाजपा का कोई मजबूत चेहरा मौजूदा विधायक और पूर्व मंत्री को टक्कर देता नजर आएगा। यहां पूर्व भाजपा नेताओं से हटकर कोई नया चेहरा पार्टी सामने ला सकती है।
बहरहाल ज्योतिरादित्य सिंधिया की जन आशीर्वाद यात्रा ने ना सिरफ इंदौर बल्कि मध्य प्रदेश की राजनीति में कई तरह के सवाल खड़े कर रही है।। यह सवाल नए नेतृत्व को लेकर भी है, हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साफ किया है कि 2023 विधानसभा का चुनाव पार्टी शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में ही लड़ेगी, लेकिन अंतिम वक्त राजनीति का यह उठ आने वाले दिनों में किस करवट बैठ सकता है, यह देखना दिलचस्प होगा ।