कोरोना संक्रमण का लगातार बढ़ता स्वरुप एक बार लोगों का डरा रहा है। संक्रमण के दायरे के बढ़ने से लगी पांबदियों ने एक बार फिर लोगों की परेशानियों को बड़ा दिया है। देश के सभी प्रमुख शहरों में मास्क अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही लोगों से अपील की जा रही है कि वे शारीरिक दूरी का पालन करें, समय-समय पर अपने हाथों को सेनेटाइजर से साफ करें। इस बीच, जानकार लगातार बता रहे हैं कि भारत में कोरोना का पीक कब आएगा और इस दौरान अधिकतम कितने केस आ सकते हैं।
भारतीय विज्ञान संस्थान और भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आइआइएससी और आइएसआइ) के शोधकर्ताओं का मानना है जनवरी के अंत या फरवरी के शुरू तक तीसरी लहर चरम पर होगी और तब प्रतिदिन 10 लाख तक नए मामले मिल सकते हैं। उधर बेंगलुरु स्थित संस्थान के प्रोफेसर शिव आत्रेय, प्रोफेसर राजेश सुंदरसन और सेंटर फार नेटवर्क इंटेलीजेंस की टीम ने कोरोना पर अपने अनुमानों में यह बात कही है। इनके मुताबिक अलग-अलग राज्यों में तीसरी लहर का चरम भिन्न-भिन्न हो सकता है। मार्च तक मामलों में बढ़ोतरी स्थिर हो जाएगी।

वहीं शोधकर्ताओं के मुताबिक पहले के संक्रमण और टीकाकरण से पैदा ही प्रतिरक्षा कम होने लगेगी तो ज्यादा लोग संक्रमण की चपेट में आएंगे। ऐसी स्थिति में तीन तरह के हालात हो सकते हैं। पहली स्थिति में प्रतिदिन तीन लाख, दूसरी में छह और तीसरी स्थिति में 10 लाख तक नए मामले मिल सकते हैं। महाराष्ट्र सबसे बुरी तरह प्रभावित हो सकता है और वहां प्रतिदिन 1,75,000 मामले मिल सकते हैं।
उधर अमेरिका में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) के निदेशक और वाशिंगटन विश्वविद्यालय में हेल्थ मेट्रिक्स साइंसेज के अध्यक्ष डॉ क्रिस्टोफर मरे ने भी कहा है कि भारत में अगले महीने तक कोरोना संक्रमण का पीक आ सकता है। इस दौरान प्रति दिन पांच लाख केस सामने आ सकते हैं। अच्छी बात यह है कि इस बार कोरोना की गंभीरता कम होगी।
उधर आईआईटी कानपुर के एक प्रोफेसर ने भी बड़ा दावा किया। प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल के दावों पर गौर करे तो दिल्ली और मुंबई में ओमिक्रोन से संचालित कोरोना मामले जनवरी के मध्य में यानी आज से करीब 10 दिनों में चरम पर पहुंच जाएंगे। यह महामारी मार्च 2022 तक कमजोर पड़ जाएगी। देश के उत्तरपूर्वी हिस्सों में दूसरी लहर के दौरान भी ऐसा ही हुआ था। पीक का मतलब है कि दोनों ही महानगरों में 30 से 50 हजार केस रोज। सामने आने की संभवना है ।